मेंरे जीवन की घटना:-
आज एक ऐसी घटना की बात करता हूँ , जिसने मुझे एक बहुत बड़ी सिख दी है। में भी आप ही की तरह एक प्रकृति प्रेमी हूँ, जो पेड़ो से प्यार करता हे, ओर उनकी देखभाल भी।
मेरे घर के सामने पार्क है, जिसकी बाउंड्री पर मेंने पक्षियों के लिए परिंडे रखे हुए हैं। जहां रोज़ पक्षी पानी पीने आते है, और उड़ जाते है, परन्तु मेरे पास ही के घर के सामने भी एक परिंडा रखा हुआ था। अब पड़ोस के अंकल जी रोज़ परिंडो में पानी भरते पर कोई परिंदा उसमे पानी पिने नहीं आता था। तभी एक दिन रोज़ की तरह में परिंडे में पानी भर रहा था, और पड़ोस के अंकल जी भी पानी भर रहे थे, ओर उन्होंने मुझसे एक प्रश्न कर लिया की "यार पता नहीं मेरे परिंडे में पक्षी पानी पिने क्यों नहीं आते है ?" मेने आशंका जताई और पूछा अंकल जी भला ये भी कोई बात हुई, जो परिंदे पानी पिने नहीं आते हैं। फिर मेंने घोर किया की ऐसी क्या वजह हो सकती है, जो पक्षी आपके परिंडे का पानी नहीं पिते है, और मेंरे परिंडे का पानी पीलेते हैं? बोले ये तो मुझे भी नहीं पता फिर मेंने थोड़ा जोर डालते हुए पूछा की अंकल जी आप पानी लाते कहा से है? मतलब मेरा था हो सकता है, कुछ मिला हुआ पानी हो, तो बोले यार में तो रोज़ इनके लिए आरो का फिल्टर पानी रखता हूँ।
फिर भी ये पानी नहीं पिते है, फिर मेंने दिमाग पर जोर डाला और उनको एक सलाह दी की आप आज से ऐसा कीजिये, की इसमें आरो के पानी के बजाय सादा पानी डालिये, फिर देखते है। अंकल जी ने ठीक वैसा ही किया जैसा मेने बताया, और इस बार तो बात कुछ और ही निकली मतलब की मेरी युक्ति काम आगई। क्योकि पक्षी अब पानी जो पीरहे थे। अब अंकल जी के मन में एक प्रश्न और खड़ा हुआ की ऐसा क्या हुआ, जो पहले पानी नहीं पी रहे थे और अब पी रहे हैं । तो मेने बड़ी सटिकता से अंकल जी के प्रश्न का जवाब दिया। यह इंसान नहीं हे, जो सब कुछ हजम कर जाये ये कुदरत हे, जो सब जानती हे, की क्या गलत हे, और क्या सही। अंकल जी फिर भी असमंजस्य में फिर मैंने ने फिर सटिक जवाब दिया की आप जिस पानी को दे रहे थे, वो पक्षियों को रास नहीं आया, क्योकि वो मिनरल वाटर था। जिसमे सारे खनिज तो इं सानी मशीन ने सोख लिए। अब जो खनिज हमारी हर शारारिक रचना में अहम भूमिका अदा करते हे, और उसी का ही शोषण अगर हम कर लेंगे, तो भला हमारे शरीर को क्या मिलेगा जो खुद इन्हीं तत्वों से बना है, और यह बात वह परिंदे बखूबी जानते थे। इसी कारण उन्होंने आपकी परिंडे का पानी पीना अपनी सेहत के लिए उचित नहीं समझा।
प्रकृति क्या है ?
तब से मुझे एक बात तो समझ में आ गई है। इंसान चाहे कितने ही आविष्कार क्यों ना करले, परंतु प्रकृति ने जो बनाया है, उसका विकल्प हम नहीं हो सकते। यह मेरे जीवन का वह उदाहरण है, जिसने इंसानी अविष्कार को चुनौती तो दी ही है। साथ में ही उन चीजों पर भी प्रकाश डाला है, जो इंसानी दिमाग थोड़ी देर से समझता है। अतः हमें भी समझना चाहिए हमारे इर्द-गिर्द प्रकृति ने जो हमें सौंपा है, या जो भी कुछ दिया है, उसका कोई ना कोई औचित्य जरूर है, और अगर हम किसी भी तरीके से इनको नष्ट करने या हानि पहुंचाने की कोशिश करेंगे, तो प्रकृति हम लोगों को इसका सबक एक ना एक दिन जरूर देगी। इसलिए हमे उन सब चीजों को सहजना चाहिए, जो हमें प्रकृति देती है ।
हम सभी किसी न किसी रूप में भगवान को मानते हैं। पर क्या भगवान की पूजा अर्चना करने के बाद क्या हमारा दायित्व खत्म हो जाता हे? नहीं ऐसा बिलकुल नहीं है। हर इंसान भगवान से एक चमत्कार की आस हमेशा से लगाता है। पर वो शायद इस प्रकृति रूपी भगवान को भूल जाता हे।
आज कोई बीज जमीन में बौया जाता है, तो उसका परिणाम दूसरे दिन दृश्टिगत होता हे, और मुझे नहीं लगता की इससे ज्यादा कोई परिणाम का उदाहरण देना चाहिए। प्रकृति हमे वो सब कुछ देती है, जिसकी हमें आवश्यकता होती है। परन्तु हमें कभी यह नहीं भूलना चाहिए, कि हम भी उसी प्रकृति का अंश है। जिसने हमें बनाया है।
प्रकृति में जल क्या है ?
जैसाकि हम सबको पता है, हमारा शरीर भी इस कुदरत का अंश है । जिसमे 70% केवल मात्र पानी की भूमिका से ही निर्मित है अतः हम को समझना चाहिए कि पानी हमारे जीवन के लिए प्रकर्ति की वो बहुमुल्य धरोवर है, जिसके लिए शब्द नहीं मिल सकते हैं।
पानी जिसका पहला उपयोग हमारी प्यास बुझाने में होता है। पानी का हर रंग रूप हमें किसी ना किसी रूप से प्रभावित करता है। आखिरकार पानी को हमने जीवन की संज्ञा जो दे रखी है, और हो भी क्यों ना यह केवल संज्ञा नहीं है, जल वास्तव में जीवन ही है। जल में ही सबसे पहले जीवन की उत्पत्ति हुई है, और जल के ऐसे कई कारण और राज हमें हमारी पोंराणिक कथाओं में भी मिलते हैं, जो इसकी उपयोगिता को बतलाते हैं।
आज हमें जरूरत है, जल की महत्ता को समझने की क्योंकि जल के बिना जीवन की परिकल्पना करना भी एक मुश्किल बात हो सकती है। इसलिए इस जल रूपी जीवन को हमें सहेज कर रखना चाहिए। क्योंकि जल का जो जीवन हमें मिला है। वह मानव निर्मित नहीं है, और हम लाख अविष्कार भी कर ले, परंतु जल का विकल्प हम नहीं तलाश सकते हैं।
पृथ्वी पर कितना जल है ?
यह तो हम सब जानते हैं कि पृथ्वी का 71 प्रतिशत भाग जल से ढका हुआ है, और 1.6 प्रतिशत पानी पृथ्वी के गर्भ ग्रह में है और 0.001 प्रतिशत वाष्प और बादलों के रूप में है. जिसे हम पीने लायक मानते हैं पृथ्वी की सतह पर जो पानी है उसमें से 97 प्रतिशत सागरों और महासागरों में है, जो नमकीन है और पीने के योग्य नहीं है. पृथ्वी पर केवल 3 प्रतिशत पानी ही पीने योग्य है। जिसमें से 2.4 प्रतिशत पानी का हिस्सा उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव में ग्लेशियर के रूप में जमा हुआ है और अब केवल 0.6 प्रतिशत पानी ही नदियों, झीलों और तालाबों में है, जिसे इस्तेमाल किया जा सकता है. एक अनुमान के अनुसार पृथ्वी पर कुल 32 करोड़ 60 लाख खरब गैलन पानी है. और एक रोचक बात ये भी है कि ये मात्रा घटती बढ़ती नहीं है. सागरों का पानी वाष्प बनकर उड़ता है, बादल बनकर बरसता है, और फिर सागरों में ही जा समाता है। जिसे भौगोलिक भाषा में संघनन की क्रिया के नाम से जाना जाता है, और ये चक्र निरंतर चलता रहता है।
आज पानी का उपयोग हर क्षेत्र में होता है, अब वो सिंचाई, औद्योगिक क्षेत्र, ओर किसी भी प्रकार की जल आपुर्ति हो सकती है। आज हमें जल के महत्व को समझना चाहिए, अपितु प्रकृति की हर उस चीज का दोहन करना चाहिए, शोषण नहीं जिससे की हमारी प्रकृति का संतुलन बना रहें, और हम भी दूसरे जीवन के लिए इस पृथ्वी पर ही निर्भर हैं, और अगर हम आज अपने स्वार्थ के लिए अपने प्रकृति के लिए कुछ नहीं केरेंगे तो आने वाला समय मनुष्य के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है।
आशा करता हूँ मेरा ये ब्लॉग आप सभी को जरूर पसंद आएगा क्योंकि हम सभी किसी न किसी तरह से हर उस चीज से जुड़े होते हैं जो हमारा मार्ग प्रशस्थ कर सकें।
मुझे पड़ने के लिए आपका धन्यवाद
< हरि शंकर जीनगर >
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ENGLISH TRANSLATE:-
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My life events: -
Today, I talk about an incident that has given me a very big Sikh. I am also a nature lover like you, who loves trees, and also takes care of them.
There is a park in front of my house, on whose boundary I have laid birds for birds. Where birds come daily to drink water and fly away, but I also had a parinda in front of my house. Now the uncle of the neighborhood used to fill water in the parindo, but no bird could drink water in it. Then one day, as usual, the bird was filling the water, and the uncle of the neighborhood was also filling it, and he asked me a question, "Don't know why birds don't drink water in my bird?" I expressed apprehension and asked Uncle Ji that there is also a thing, which birds do not come to drink water. Then I stammered, what could be the reason, that the birds have not eaten the water of your bird, and the water of my bird is yellow? I do not even know this, then I put a little emphasis and asked that Uncle Ji, where do you bring water? I mean maybe there is some mixed water, then in my friend, I keep Aro filter water for them every day.
Still, this water is not pitted, then I stressed on my mind and gave him an advice that you should do this from today, instead of it, add plain water instead of Aro water, then let's see. Uncle Ji did exactly what I told him, and this time it turned out that something else meant that my device worked. Because the birds were now drinking water. Now a question arose in Uncle Ji's mind that what happened, who was not drinking water earlier and is now drinking. So I answered uncle's question very accurately. This is not a human being, who digests everything, it is natural, who knows everything, what is wrong, and what is right. Uncle ji, yet again in confusion, I again gave the exact answer that the water you were giving, the birds did not like it, because it was mineral water. In which all the minerals were absorbed by the human machine. Now the minerals that play an important role in every physical composition of ours, and if we exploit the same, then what will our body get which is made of these elements itself, and that Parinde knew this very well. That is why they did not consider it appropriate for your health to drink water of your bird.
What is nature:-
Since then I have understood one thing. No matter how many inventions humans may make, but we cannot substitute for what nature has created. This is an example of my life that has challenged human innovation. At the same time, it has also shed light on the things that the human mind understands for a while. Therefore, we should also understand that there is some justification for what nature has given us around us, or whatever it has given us, and if we try to destroy or harm them in any way, then nature We will definitely teach its lesson one day or the other. Therefore, we should take care of all the things that nature gives us.
We all believe in some form of God. But do we end our obligation after worshiping God? No, it is not so. Every human is always looking forward to a miracle from God. But he probably forgets the God of this nature.
Today, if a seed is dwarfed in the ground, its result is visible the next day, and I do not think that any more than that should be given example. Nature gives us everything we need. But we should never forget that we too are part of the same nature. Who created us.
What is water in nature?
As we all know, our body is also a part of this nature. In which 70% is formed by the role of water only, so we should understand that water is that precious heritage of nature for our life, for which words cannot be found.
The first use of water is to quench our thirst. Every color form of water affects us in one way or the other. After all, we have given water the noun of life, and even then why is it not just a noun, water is actually life. Life originated first in water itself, and many such reasons and secrets of water are also found in our Poranic stories, which show its usefulness.
Today, we need to understand the importance of water because it can be a difficult thing to imagine life without water. Therefore, we should save this water-like life. Because the life of water we have got. It is not man-made, and we may also invent a million, but we cannot find an alternative to water.
How much water is there on Earth?
We all know that 71 percent of the Earth is covered with water, and 1.6 percent of the water is in the womb of the Earth and 0.001 percent is in the form of vapor and clouds. What we consider to be drinkable, 97 percent of the water that is on the surface of the earth is in the seas and oceans, which is salty and not fit to drink. Only 3 percent of water on the earth is potable. Of which 2.4 per cent of the water has been deposited as glaciers in the North and South Pole and now only 0.6 per cent of the water is in rivers, lakes and ponds, which can be used. According to an estimate, there is 326 million trillion gallons of water on the earth. And an interesting thing is that this quantity does not increase or decrease. The waters of the seas fly away as vapors, rain as clouds, and then settle into the seas. Which is known as the action of condensation in the geographical language, and this cycle goes on continuously.
Today water is used in every area, now it can be irrigation, industrial area, and any kind of water supply. Today we must understand the importance of water, but should exploit everything in nature, not exploitation so that our nature is balanced, and we too are dependent on this earth for other life, and if we are today If we do not do anything for our own nature for selfishness, then the time to come can become a big danger for human beings.
I hope all of you will like this blog because we all are connected with everything in some way that can pave our way.
Thank you for having me
<Hari Shankar Jinagar>
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