रामचरितमानस में तुलसीदासजी ने राम नाम की महिमा को बहुत ही सुंदर तरीकेे से गाई है। “रामनाम कि औषधि खरी नियत से खाय, अंगरोग व्यापे नहीं महारोग मिट जाये।” अर्थात राम नाम का जप एक ऐसी औषधि के समान है, जिसे अगर सच्चे ह्रदय से जपा जाए, ईश्वर की स्तुति अगर हृदय सेे की, तो सभी आदि-व्याधि दूर हो जाती हैं,मन को परम शांति मिलती है।
उसी प्रकार मानव अगर अपने जीवन में किसी भी कार्य को अपने हृदय से करता है, अर्थात अगर वह अपने जीवन में सफलता पाने के लिए जिस भी काम को तल्लीन होकर सच्चे मन से करता है, तो जिस प्रकार उसे ईश्वर की प्राप्ति होती है, उसी प्रकार उस व्यक्ति को अपने जीवन में सफलता जरूर मिलती है।
इसलिए अगर आप किसी भी कार्य को कर रहे हैं तो तल्लीन होकर जरूर कीजिए। क्योंकि जब आप किसी कार्य को ईमानदारी से करते हैं, तो वह कार्य भी ईश्वर स्तुति से कम नहीं है, क्योंकि ईश्वर केवल पाठ पूजन के अलावा हमारे अच्छे कर्म पर भी प्रसन्न होते हैं।
अगर आपके कर्म अच्छे होंगी साथ स्तुति भी हृदय से होती है तो ईश्वर जरूर प्रसन्न होते हैं इसलिए अपने काम में हमेशा सेवा भाव उदार भाव और दया भाव को नहीं जरूर करें जिससे ईश्वर की कृपा आप पर हमेशा बनी रहेगी और आप अपने हर कार्य में जरूर सफल होंगे।
आशा करता हूं मेरे विचार आपको जरूर पसंद आए होंगे मेरे ब्लॉक के बारे में अपनी राय देने के लिए कमेंट करना बिल्कुल ना भूलें और मेरे इस ब्लॉग को फॉलो करके और भी रोचक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं आपका कीमती समय देने के लिए बहुत-बहुत
धन्यवाद
हरि शंकर जी नगर
Post a Comment